गोपाल कृष्ण देव
: क्या गलती थी मेरी,
के युं झुठला दिया जाऊं?
जांघ तोड़ी भीम ने,
छल सारा उन्होंने किया।
राज मुकुट हतिया के,
मुझे सरेआम बदनाम किया।।
सत्य साक्षि है,
मैं झूठा कभी न था,
छल किया होगा मातूल ने मेरे;
मैं झुठ का सारथी कभी न था।
: दुर्योधन तुम सुयोधन हो,
हस्ति तुम्हारा न मिटाया जाएगा।
सिद्धांत था ग़लत तुम्हारा,
बस इतना सा समझाया जायेगा।
सत्य के प्रहरी थे तुम हरपल,
बस चुनाव में गलती थी ।
वैसे भी है यह अमर कहानी,
बस बाज़ी तुम्हारी पलटी थी।
इस सीख को करने,
सत्य-सिद्ध तुम हरबार,
याद किये जाओगे ।
हरबार बस इस गलत चुनाव के कारण,
तुम हरबार झुठलाए जाओगे।
धन्य है यह हस्ति तुम्हारी,
धन्य तुम्हारा अभिशाप है।
करने सत्य को सत्य-सिद्ध,
कुर्बान तुम्हारा पाप है।।
तुम से अगर कोई सीखा नहीं,
वक्त कैसे उसे सीखाएगा?
मिटेगी नहीं यह हस्ति तुम्हारी,
पर शायद वो मिट जायेगा ।।
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Poet Gopal Krishna Deb
is currently working as
HoD (Biology)
Radian College, Silchar
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